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अधूरी आवेदन प्रक्रिया के कारण याचिकाकर्ताओं को सीईटी-2025 का प्रवेश पत्र नहीं: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग का हाईकोर्ट में जवाब

कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET)-2025

चंडीगढ़,
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया है कि कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET)-2025 के लिए जिन याचिकाकर्ताओं को प्रवेश पत्र जारी नहीं किए गए हैं, उन्होंने आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से पूरा नहीं किया था। आयोग का यह बयान सुरेंद्र कुमार एवं अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल याचिका के जवाब में आया है, जिनका कहना है कि उन्हें परीक्षा में शामिल होने से वंचित किया गया है।

आवेदन प्रक्रिया अधूरी रहने का हवाला
हलफनामे में कहा गया है कि CET-2025 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 14 जून 2025 थी, और शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 16 जून 2025 निर्धारित की गई थी। विज्ञापन संख्या 01/2025 के तहत यह अनिवार्य किया गया था कि आवेदक अपनी आवेदन पत्र की हस्ताक्षरित प्रति (पावती) पोर्टल पर अपलोड करें। यह स्पष्ट किया गया कि बिना इस दस्तावेज़ के आवेदन अधूरा माना जाएगा।

आयोग के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने यह अनिवार्य चरण पूरा नहीं किया, जिसके चलते उनका आवेदन प्रक्रिया के मानकों पर खरा नहीं उतरा और इसलिए उन्हें प्रवेश पत्र जारी नहीं किया गया।

कुल आंकड़े भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत
आयोग ने बताया कि कुल 15,23,787 उम्मीदवारों ने CET-2025 के लिए पंजीकरण कराया था। इनमें से 13,70,551 उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक शुल्क का भुगतान किया, जबकि 13,48,697 उम्मीदवारों ने आवेदन की विधिवत हस्ताक्षरित प्रति अपलोड कर आवेदन प्रक्रिया पूरी की। इन सभी उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र जारी कर दिए गए हैं।

हालांकि, 21,854 उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्होंने शुल्क तो जमा किया, लेकिन हस्ताक्षरित प्रति अपलोड नहीं की, इसलिए उन्हें प्रवेश पत्र नहीं मिल सका।

तकनीकी खराबी के आरोप को किया खारिज
याचिकाकर्ताओं द्वारा पोर्टल में तकनीकी खराबी के कारण आवेदन अपलोड न हो पाने का तर्क भी आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने दिन-वार डेटा प्रस्तुत किया, जिसमें यह दर्शाया गया कि लाखों अभ्यर्थियों ने उसी पोर्टल से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, जिससे तकनीकी गड़बड़ी की बात निराधार सिद्ध होती है।

अन्य उम्मीदवारों के साथ न्याय का प्रश्न
आयोग ने हाईकोर्ट को बताया कि यदि याचिकाकर्ताओं को प्रवेश पत्र दिए जाते हैं, तो यह उन लाखों उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने पूरी प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा किया है। इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता भी प्रभावित होगी।

पूर्ववर्ती न्यायिक आदेशों का हवाला
हलफनामे में आयोग ने पूर्व के न्यायिक निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि आवेदन पत्र की हस्ताक्षरित प्रति अपलोड करना अनिवार्य शर्त है, और इस प्रक्रिया में कोई ढील नहीं दी जा सकती।

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