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माननीयों के खिलाफ मामलों की जांच में देरी पर हाई कोर्ट सख्त

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के वर्तमान और पूर्व सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इस संबंध में चल रही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि कई मामलों में एफआईआर दर्ज हुए वर्षों बीत चुके हैं, फिर भी जांच अब तक अधूरी है।

कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई पर गृह सचिव स्वयं शपथ-पत्र दाखिल कर जांच में देरी के कारण स्पष्ट करें।

इसके साथ ही, गुरुग्राम, पंचकूला, यमुनानगर, नूंह, पानीपत और रोहतक के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे उन मामलों में सुनवाई में हो रही देरी का कारण न्यायालय को बताएं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर 2017 को सभी हाई कोर्ट को निर्देशित किया था कि सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएं। इन अदालतों को प्रत्येक माह मामलों की स्थिति रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपनी होती है, और हाई कोर्ट को हर तीन माह में एक बार इन रिपोर्टों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने होते हैं।

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