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मुख्य ग्रंथी रघबीर सिंह ने एसजीपीसी के खिलाफ याचिका वापस ली

सेवा से बर्खास्तगी की जताई थी आशंका, आंतरिक राजनीति का बनाया जा रहा शिकार – याचिका में आरोप

चंडीगढ़, 1 जुलाई
श्री दरबार साहिब, अमृतसर के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के खिलाफ दाखिल याचिका मंगलवार को वापस ले ली। याचिका में उन्होंने बिना सुनवाई के सेवा से हटाए जाने की आशंका जताते हुए, खुद को SGPC की आंतरिक राजनीति का शिकार बताया था।

कोर्ट की टिप्पणी:
सुनवाई के दौरान जब रघबीर सिंह के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, तो हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि “यह याचिका समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो चुकी है और अब इसे वापस लिया जा रहा है।” इसके बावजूद, अदालत ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और याचिका को औपचारिक रूप से खारिज कर दिया।

क्या था याचिका में:
रघबीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें बिना किसी नोटिस या अवसर के हेड ग्रंथी पद से हटाया जा सकता है। उन्होंने SGPC अध्यक्ष, सचिव और प्रबंधक पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की आशंका जताई और कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें अनुचित कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की जाए।

राजनीतिक पृष्ठभूमि से जोड़ा मामला:
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया था कि 2 दिसंबर 2024 को अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल को “नैतिक विफलता” के आधार पर पार्टी नेतृत्व से हटाने के बाद SGPC में पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई, और इसी के तहत उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से नाराज़ कुछ गुट अब उन्हें जबरन हटाना चाहते हैं।

धार्मिक मर्यादा का हवाला:
ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि मार्च 2025 में जत्थेदार पद से हटाए जाने के बाद उन्हें सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का मुख्य ग्रंथी नियुक्त किया गया, जो सिख धार्मिक परंपरा में सर्वोच्च मर्यादा वाला पद है। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि न केवल उनके पद की गरिमा की रक्षा की जाए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि वह SGPC की आंतरिक राजनीति के शिकार न बनें।

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