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सैकड़ों कर्मचारियों को हाई कोर्ट बड़ी राहत : एचएसएससी संशोधित परिणाम पर हाई कोर्ट की रोक, तल्ख टिप्पणी करते हुए बताया अन्यायपूर्ण, अनुचित और अवैध

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– संशोधित परिणाम से 1699 नए चयनित, 781 की गई थी नौकरी , कोर्ट की रोक से कर्मचारियों को अंतरिम राहत

 

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा 14 जून 2025 को जारी किए गए ग्रुप सी पदों के संशोधित परिणाम पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए उस पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने आयोग के इस फैसले को “अन्यायपूर्ण, अनुचित और अवैध” ठहराते हुए सरकार और एचएसएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

यह मामला दीपक सिंह और अन्य नियुक्त कर्मचारियों की याचिका के तहत कोर्ट में पहुंचा था। याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि वे अक्टूबर 2024 से नियमित रूप से विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं, लेकिन एचएसएससी द्वारा अचानक 14 जून 2025 को संशोधित परिणाम जारी कर उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कोर्ट ने इस कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाते हुए कर्मचारियों को अंतरिम राहत प्रदान की।सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप मौदगिल ने पाया कि यह संशोधित परिणाम आयोग द्वारा पूर्व के दो निर्णयों  के अनुपालन में जारी किया गया था। हालांकि, 15 फरवरी 2025 को इन्हीं आधारों पर पारित एक अन्य फैसले पर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 13 मई 2025 को रोक लगा दी थी। ऐसे में एकल पीठ ने कहा कि जब संबंधित मामलों पर पहले से ही न्यायिक विचाराधीन है तो उसी आधार पर किसी की नियुक्ति रद्द करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।जस्टिस मौदगिल ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि कोई कर्मचारी लंबे समय से कार्यरत है, तो केवल छह महीने की सेवा के आधार पर उसकी उम्मीदवारी समाप्त करना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने एचएसएससी के इस कदम को अनुचित बताते हुए इसे रद्द करने योग्य करार दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब यह मामला पहले से लंबित अपीलों के साथ जोड़ दिया गया है और सभी याचिकाओं पर सामूहिक रूप से सुनवाई की जाएगी।गौरतलब है कि एचएसएससी ने 14 जून को हाई कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला देते हुए ग्रुप सी की विभिन्न कैटेगरी जैसे पटवारी, क्लर्क, जेई, कांस्टेबल (पुरुष और महिला) आदि का संशोधित परिणाम जारी किया था। इसमें 1699 नए अभ्यर्थियों का चयन किया गया था, जबकि पहले से नियुक्त 781 लोगों की नौकरी चली गई थी। अक्टूबर 2024 में घोषित किए गए परिणाम को लेकर कई अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी, जिनके आवेदन पिछड़ा वर्ग प्रमाणपत्र की वैधता के कारण खारिज कर दिए गए थे।भर्ती प्रक्रिया के दौरान 1 अप्रैल 2023 से पहले जारी पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्रों को अवैध मानते हुए कई उम्मीदवारों के आवेदन रद्द कर दिए गए थे। इस पर कई युवाओं ने हाई कोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि सरकार के पास परिवार पहचान पत्र का पूरा डाटा है, जिससे उनकी जाति की पुष्टि आसानी से हो सकती थी। उन्होंने कहा कि आयोग ने यह प्रक्रिया अपनाए बिना उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी, जो अनुचित है।हाई कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आयोग को निर्देश दिया था कि पुराने प्रमाणपत्रों के आधार पर रद्द की गई उम्मीदवारी की जांच परिवार पहचान पत्र से की जाए और फिर संशोधित परिणाम जारी किया जाए।

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