जाति प्रमाण पत्र समय पर न बन पाने पर परिणाम से पहले अपलोड की छूट, पोर्टल दोबारा खोलने की मांग खारिज
चंडीगढ़, 1 जुलाई –
हरियाणा में ग्रुप-C पदों के लिए आयोजित कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) को लेकर जाति प्रमाण पत्र समय पर न बना पाने वाले अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है। सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि CET परिणाम जारी होने से पहले ऐसे अभ्यर्थियों को जाति प्रमाण पत्र अपलोड करने का एक और मौका मिलेगा, बशर्ते उन्होंने आवेदन की अंतिम तिथि से पहले सरल पोर्टल पर प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर दिया हो।
सरकार की स्थिति स्पष्ट:
राज्य सरकार ने कोर्ट को यह भी स्पष्ट किया कि यह राहत केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को दी जाएगी जिन्होंने समय रहते आवेदन किया था। ऐसे सभी पात्र अभ्यर्थी जो प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा में सामान्य श्रेणी में आवेदन करने को मजबूर हुए, अब संशोधन कर सकेंगे।
तकनीकी दिक्कतों के आधार पर पोर्टल दोबारा खोलने की मांग खारिज:
सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि OTP देर से आने या तकनीकी समस्याओं के चलते वे प्रमाण पत्र अपलोड नहीं कर सके और पोर्टल को फिर से खोला जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने टिप्पणी की, “जब लाखों अभ्यर्थियों ने सफलतापूर्वक आवेदन किया, तो तकनीकी कारणों का हवाला सभी के लिए मान्य नहीं हो सकता।”
सरकार व आयोग से जवाब तलब:
कोर्ट ने हरियाणा सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को 5 सितंबर तक नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है।
पूर्व की तुलना में कम समय, नार्मलाइजेशन पर भी उठे सवाल:
याचिकाकर्ता के वकील चरणजीत कुश ने तर्क दिया कि 2022 की CET प्रक्रिया में पंजीकरण के लिए एक वर्ष से अधिक का समय दिया गया था, जबकि इस बार सिर्फ 15 दिन का समय मिला, जो अनुचित है। एक अन्य याचिकाकर्ता ने परीक्षा की “नार्मलाइजेशन” प्रक्रिया को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि जब परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होती है, तो कठिनाई स्तर समान नहीं होता। उन्होंने मांग की कि परीक्षा सिर्फ एक ही शिफ्ट में कराई जाए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल साइंसेज की परीक्षाओं में निर्देशित किया है।