Friday, October 10, 2025
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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: पारदर्शिता और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार के लिए वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 एक क्रांतिकारी कानून है। यह अधिनियम वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाने का प्रयास करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 सितंबर 2025 को दिए गए निर्णय में न्यायालय ने अधिनियम को पूर्ण रूप से रोकने से इनकार कर दिया है, जो इसकी संवैधानिकता के पक्ष में एक महत्वपूर्ण संकेत है। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसका तकनीकी दृष्टिकोण है। यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करता है। एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल के माध्यम से सभी वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और प्रबंधन होगा, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं काफी कम हो जाएंगी। यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी बल्कि वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को भी रोकेगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संपत्ति की जानकारी, आय-व्यय का ब्योरा, और विकास परियोजनाओं की स्थिति सभी हितधारकों के लिए सुलभ होगी। यह तकनीकी सुधार वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा और समुदाय की भलाई के लिए संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा।

अधिनियम में प्रशासनिक ढांचे में व्यापक सुधार किए गए हैं। वक्फ बोर्डों की संरचना में सुधार करके उनमें विविधता और विशेषज्ञता लाई गई है। यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन केवल धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि आधुनिक प्रबंधन सिद्धांतों के अनुसार हो। बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमित संख्या में नियुक्ति से विविध दृष्टिकोण मिलेगा, जो बेहतर निर्णय लेने में सहायक होगा। नए अधिनियम में वक्फ बोर्डों और स्थानीय प्राधिकरणों के बीच बेहतर समन्वय की व्यवस्था है, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी। यह समुदाय के हितों की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय विकास में वक्फ संपत्तियों के योगदान को बढ़ाएगा।

15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “किसी भी कानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा अनुमान लगाया जाता है।” यह टिप्पणी अधिनियम की वैधता के पक्ष में एक मजबूत संकेत है। न्यायालय ने ने पूरे अधिनियम को रोकने से इनकार कर दिया, केवल कुछ विशिष्ट प्रावधानों को अस्थायी रूप से रोका। यह निर्णय अधिनियम के मूल ढांचे और उद्देश्यों की वैधता को स्वीकार करता है। कोर्ट ने माना कि सुधार की आवश्यकता है और अधिकांश प्रावधान समुदाय और राष्ट्र के हित में हैं। अधिनियम का एक विशेष पहलू मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार है। नए नियमों से महिलाओं को वक्फ संपत्तियों से होने वाले लाभ में अधिक हिस्सेदारी मिलेगी। यह लैंगिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इस्लामिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल भी है। वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय का उपयोग महिला शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में किया जाएगा। यह समुदाय के सामाजिक विकास में योगदान देगा और लैंगिक असमानता को कम करने में सहायक होगा। वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन न केवल समुदाय के लिए बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी है। अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग बढ़ेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि व्यापक समाज के लिए भी फायदेमंद होगा। संपत्तियों के विकास से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और कृषि, व्यापार, शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्रों में नए निवेश आएंगे। यह समुदायिक विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रगति में भी योगदान देगा।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 भारत में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में एक नए युग की शुरुआत करता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका भी इस सुधार की आवश्यकता को समझती है। यह अधिनियम न केवल वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा बल्कि उनका उपयोग समुदाय और राष्ट्र की भलाई के लिए सुनिश्चित करेगा। आधुनिक तकनीक, पारदर्शी प्रक्रियाओं, और जवाबदेह प्रशासन के साथ यह अधिनियम वक्फ व्यवस्था को 21 वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करता है। यह समुदायिक सद्भावना बनाए रखते हुए राष्ट्रीय एकता में योगदान देगा और भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को मजबूत बनाएगा। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के अनुसार, यह निर्णय वक्फ सुधारों के महत्व की पुष्टि करता है और यह आश्वासन देता है कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, विकास और उपयोग समुदाय एवं राष्ट्र की भलाई के लिए होगा। यह 2025 के सुधारों के उद्देश्यों के अनुकूल है है और भविष्य में वक्फ प्रबंधन के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

मोहम्मद सादिक

पीएच.डी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया

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